आराम और चुनौती के बीच हमेशा चुनौती का ही चुनाव करें: पीएम मोदी



पीएम मोदी ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर के 54वें दीक्षांत समारोह में युवा पीढ़ी को जीवन का बहुमुल्य पाठ पढ़ाते हुये मंगलवार को कहा कि वे जीवन में सहूलियत का चयन न करें, बल्कि हमेशा चुनौतियों का सामना करने को तत्पर रहें। उन्होंने यह भी कहा कि जीवन में बहुत सारे लोग ऐसे होंगे जो सहूलियत के लिए शॉर्टकट की सलाह देंगे, पर मेरी सलाह यही होगी कि आप चुनौती को जरूर चुनें।



आप कंफर्ट मत चुनना, चैलेंज जरूर चुनना-PM

प्रधानमंत्री मोदी ने बतौर मुख्य अतिथि समारोह को संबोधित करते हुये कहा कि आज से शुरू हुई यात्रा में आपको सहूलियत के लिए शॉर्टकट भी बहुत लोग बताएंगे। लेकिन मेरी सलाह यही होगी कि आप कंफर्ट मत चुनना, चैलेंज जरूर चुनना। क्योंकि, आप चाहें या न चाहें, जीवन में चुनौतियां आनी ही हैं। जो लोग उनसे भागते हैं वो उनका शिकार बन जाते हैं।

पीएम मोदी ने ब्लॉकचेन-आधारित डिजिटल डिग्री लॉन्च की

प्रधानमंत्री ने इससे पहले दीक्षांत समारोह में ब्लॉकचेन-आधारित डिजिटल डिग्री लॉन्च की। ये डिजिटल डिग्री विश्व स्तर पर सत्यापित की जा सकती हैं और इसके साथ फर्जीवाड़ा संभव नहीं है। समारोह के दौरान प्रधानमंत्री ने 1,723 छात्रों को ऑनलाइन डिग्री प्रदान की।



प्रधानमंत्री ने इस दौरान केंद्र सरकार द्वारा उठाये गये कदमों की भी जानकारी साझा की। उन्होंने युवाओं को प्रौद्योगिकी के साथ-साथ मानवीय संवेदनाओं, कल्पनाओं और जिज्ञासा को भी कायम रखने की सलाह दी। कोडिंग करते रहो, लेकिन लोगों के साथ संपर्क भी बनाये रखें।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) विकसित करें, लेकिन ह्यूमन इंटेलिजेंस से संपर्क न खोयें

पीएम ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) विकसित करें, लेकिन ह्यूमन इंटेलिजेंस से संपर्क न खोयें। उन्होंने कहा कि आपका प्रशिक्षण, कौशल और आज का ज्ञान निश्चित रूप से आपको अपनी जगह बनाने में मदद करेगा। आपने यहां जो व्यक्तित्व विकसित किया है, वह आपको समग्र रूप से समाज की सेवा करने और अपने राष्ट्र को सशक्त बनाने की शक्ति देगा:

'आत्मनिर्भर भारत' एकमात्र 'पूर्ण स्वतंत्रता'

प्रधानमंत्री ने 'आत्मनिर्भर भारत' को एकमात्र 'पूर्ण स्वतंत्रता' बताते हुये कहा कि भारत को इसकी जरूरत है। उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर राष्ट्र को दूसरों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यदि हम आत्मनिर्भर नहीं होंगे, तो हमारा देश अपने लक्ष्य कैसे पूरे करेगा, अपनी भाग्य तक कैसे पहुंचेगा?

उन्होंने कहा कि आपने जब आईआईटी कानपुर में प्रवेश लिया था और अब जब आप यहां से निकल रहे हैं, तब और अब में, आप अपने में बहुत बड़ा परिवर्तन महसूस कर रहे होंगे। यहां आने से पहले एक अज्ञात का डर होगा, एक अज्ञात का प्रश्न होगा। अब अज्ञात का डर नहीं है, अब पूरी दुनिया को अन्वेषण करना करने का हौसला है। अब अज्ञात की क्वेरी नहीं है, अब सर्वश्रेष्ठ के लिए क्वेस्ट है, पूरी दुनिया पर छा जाने का सपना है।

उन्होंने कहा कि कानपुर भारत के उन कुछ चुनिंदा शहरों में से है, जो इतना विविध है। सत्ती चौरा घाट से लेकर मदारी पासी तक, नाना साहब से लेकर बटुकेश्वर दत्त तक, जब हम इस शहर की सैर करते हैं तो ऐसा लगता है जैसे हम स्वतंत्रता संग्राम के बलिदानों के गौरव की, उस गौरवशाली अतीत की सैर कर रहे हैं।

यह आपके जीवन का अमृतकाल

प्रधानमंत्री ने कहा कि 1930 के उस दौर में जो 20-25 साल के नौजवान थे, 1947 तक उनकी यात्रा और 1947 में आजादी की सिद्धि, उनके जीवन का गोल्डन फेज थी। आज आप भी एक तरह से उस जैसे ही स्वर्ण युग में कदम रख रहे हैं। जैसे यह राष्ट्र के जीवन का अमृतकाल है, वैसे ही यह आपके जीवन का भी अमृतकाल है।


बिना प्रौद्योगिकी के जीवन अब एक तरह से अधूरा

उन्होंने कहा कि ये दौर, यह 21वीं सदी, पूरी तरह प्रौद्योगिकी संचालित है। इस दशक में भी प्रौद्योगिकी अलग-अलग क्षेत्रों में अपना दबदबा और बढ़ाने वाली है। बिना प्रौद्योगिकी के जीवन अब एक तरह से अधूरा ही होगा। ये जीवन और प्रौद्योगिकी की स्पर्धा का युग है और मुझे विश्वास है कि इसमें आप जरूर आगे निकलेंगे।


जो सोच और रवैया आज आपका है, वही रवैया देश का भी

प्रधानमंत्री ने कहा कि जो सोच और रवैया आज आपका है, वही रवैया देश का भी है। पहले अगर सोच काम चलाने की होती थी, तो आज सोच कुछ कर गुजरने की, काम करके नतीजे लाने की है। पहले अगर समस्याओं से पीछा छुड़ाने की कोशिश होती थी, तो आज समस्याओं के समाधान के लिए संकल्प लिए जाते हैं।

उन्होंने कहा कि जब देश की आजादी को 25 साल हुए, तब तक हमें भी अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए बहुत कुछ कर लेना चाहिए था। तब से लेकर अब तक बहुत देर हो चुकी है, देश बहुत समय गंवा चुका है। बीच में 2 पीढ़ियां चली गईं इसलिए हमें 2 पल भी नहीं गंवाना है।

आत्मनिर्भर भारत के लिए अधीर बनें

प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरी बातों में आपको अधीरता नजर आ रही होगी लेकिन मैं चाहता हूं कि आप भी इसी तरह आत्मनिर्भर भारत के लिए अधीर बनें। आत्मनिर्भर भारत, पूर्ण आजादी का मूल स्वरूप ही है, जहां हम किसी पर भी निर्भर नहीं रहेंगे।


आजादी के इस 75वें साल में हमारे पास 75 से अधिक यूनीकॉर्न

उन्होंने कहा कि आजादी के इस 75वें साल में हमारे पास 75 से अधिक यूनीकॉर्न हैं, 50,000 से अधिक स्टार्ट-अप हैं। इनमें से 10,000 तो केवल पिछले 6 महीनों में आए हैं। आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप हब बनकर उभरा है। कितने स्टार्ट-अप तो हमारी आईआईटी के युवाओं ने ही शुरू किए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कौन भारतीय नहीं चाहेगा कि भारत की कंपनियां ग्लोबल बनें, भारत के उत्पाद वैश्विक बनें। जो आईआईटी को जानता है, यहां के टैलेंट को जानता है, यहां के प्रोफेसर्स की मेहनत को जानता है, वो ये विश्वास करता है ये IIT के नौजवान जरूर करेंगे।


आजादी के इतिहास से कानपुर को जोड़ा

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के दीक्षांत समोराह में पीएम मोदी ने यहां के छात्रों को जहां आत्मनिर्भरता का मंत्र दिया, वहीं मानवीय संवेदनाओं के प्रति संवेदनशील होने की भी अपील की। आजादी के इतिहास से कानपुर को जोड़ा तो केरला कैफे और कैंपस की जगहों का जिक्र कर उनके बीच छात्र जीवन की यादों को भी उकेरा। इन सबके बीच तकनीक की महत्ता को बताते हुए पीएम मोदी ने आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार रहने को कहा। दीक्षांत समारोह में आईआईटी निदेशक अभय करींदकर ने स्मृति चिह्न भेंट करके प्रधानमंत्री का स्वागत किया। प्रधानमंत्री ने रिमोट का बटन दबाकर आईआईटी कानपुर के डिजीटिल डिग्री ट्रांसमिशन का शभांरभ किया। इसके बाद उन्होंने भौतिकी वैज्ञानिक प्रो. रोहिणी एम गोडबोले, इंफोसिस के सह संस्थापक सेनापथी क्रिस गोपालकृष्णन और शास्त्रीय गायक पद्मश्री पंडित अजय चक्रवर्ती को मानद उपाधि प्रदान की।



आइआइटियंस पर जताया भरोसा



प्रधानमंत्री ने सभागार में मौजूद डिग्री हासिल करने वाले छात्रों से कहा कि मेरा आप पर भरोसा है। और मैं आज इतनी बातें कह रहा हूं, इतनी चीजें कर रहा हूं तो मुझे उनमें आपका चेहरा नजर आता है। आज देश में एक के बाद एक बदलाव हो रहे हैं। उनके पीछे आपका ही चेहरा नजर आता है। आज जो देश लक्ष्य प्राप्त कर रहा है, उसकी शक्ति आपसे ही मिले। आप ही हैं, जो करेंगे और आपको ही करना है। अनंत संभावनाएं आपके लिए ही हैं, आपको ही साकार करना है। देश जब आजादी के 100 वर्ष मनाएंगा। उस सफलता में आपके पसीने की महक होगी आपके परिश्रम की पहचान होगी। आप भली प्रकार जानते हैं, कि आपका काम आसान करने के लिए किस तरह से काम किया गया।