विश्व मृदा दिवस : स्वस्थ जीवन का अभिन्न अंग है खेत की मिट्टी
आधुनिक समय में रासायनिक खादों और कीटनाशकों के लिए दवाओं के इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरा शक्ति समाप्त होती जा रही है। दुनिया में मिट्टी के बिना कोई खाद्य सुरक्षा नहीं हो सकती है, इसी के चलते मिट्टी प्रबंधन के महत्व और इसे इस तरह रखने के लिए ये दिन समर्पित किया जाता है।विश्व मिट्टी दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य किसानों को मिट्टी और उर्वरा के प्रति जागरूक करना है। इसी उद्देश्य से पांच दिसंबर को हर साल विश्व मृदा यानी मिट्टी दिवस मनाया जाता है।
उर्वरा शक्ति को बचाने का आह्वान
आज मिट्टी दिवस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी से श्रेष्ठ संसार के निर्माण में योगदान का संकल्प लेने की अपील करते हुए इस पवित्र धरा की उर्वरा शक्ति को बचाने का सभी से आह्वान किया है। सोशल मीडिया पर रविवार एक चित्र साझा करते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लिखा,''यह धरती हमारे जीवन का आधार है। अन्न रूपी जीवन देने वाली इस धरा के ऋण से सम्पूर्ण मानव जाति कभी उऋण न हो सकेगी।'' आइये, #WorldSoilDay पर इस पवित्र धरा की उर्वरा शक्ति को बचाने और श्रेष्ठ संसार के निर्माण में योगदान का संकल्प लें। धरती बचेगी, तो मानव जीवन का उद्धार होगा।''
इस बार की थीम
दरअसल, हर साल विश्व मिट्टी दिवस की एक थीम भी रहती है । इस बार की थीम ''मृदा लवलीकरण को रोकें, मृदा उत्पादकता को बढ़ावा दें'' रखी गई है। मिट्टी में पानी में घुलनशील लवणों के निर्माण को लवणीकरण कहा जाता है । आमतौर पर इसमें अन्य रसायनों के अलावा सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फेट्स, क्लोराइड, कार्बोहाइड्रेट और बाइकार्बोनेट शामिल हैं । नमक से प्रभावित पृथ्वी को खारा, सोडिक या लवणीय-सोडिक के रूप में छांटा गया है । पौधों की वृद्धि पर मिट्टी की लवणता का मुख्य प्रभाव जल अवशोषण में कमी है। मिट्टी में पर्याप्त नमी होने पर भी पानी के अवशोषण में कमी के कारण फसलें मुरझा जाती हैं और मर जाती हैं।
वैश्विक स्तर पर जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं (आईपीबीईएस) पर अंतर सरकारी विज्ञान-नीति मंच की रिपोर्ट के मुताबिक प्रति वर्ष लगभग 190 मिलियन एकड़ का नुकसान होता है। 150 मिलियन एकड़ क्षतिग्रस्त होती है और पांच अरब एकड़ लवणता से पूरी दुनिया में आज प्रभावित है। वर्तमान में विश्व की संपूर्ण मृदा का 33 प्रतिशत पहले से ही बंजर या निम्नीकृत हो चुका है।
आज किसानों द्वारा ज्यादा रसायनिक खादों और कीड़ेमार दवाओं का इस्तेमाल करने से मिट्टी के जैविक गुणों में कमी आने के कारण इसकी उपजाऊ क्षमता में गिरावट आ रही है और यह प्रदूषण का भी शिकार हो रही है। जबकि हमारे भोजन का 95 प्रतिशत भाग मृदा से ही आता है। वर्तमान में 815 मिलियन लोगों का भोजन असुरक्षित है और दो अरब लोग पोषक रूप से असुरक्षित हैं, लेकिन हम इसे मृदा में सुधार के माध्यम से कम कर सकते हैं।
मिट्टी के स्वास्थ्य की चिंता भी है जरूरी
इस दिवस को लेकर सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), केंद्रीय योजना मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय में केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का कहना है कि अनुकूल जलवायु परिवर्तन,स्वच्छ पानी व खाद्य सुरक्षा हेतु स्वस्थ मिट्टी आवश्यक है,जिस प्रकार हम नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य की जांच करते हैं, चिंता करते हैं, उसी प्रकार से मिट्टी के स्वास्थ्य की भी जांच और चिंता हर दो वर्ष मे होनी चाहिए। आप सभी आज विश्व मिट्टी दिवस पर इस संदेश को जन जन तक पहुचाने का प्रयास करें।
साथ ही उन्होंने बताया है कि ''मिट्टी के स्वास्थ्य व उर्वरकता को बढ़ाने हेतु 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का शुभारंभ किया है, जिससे किसान अपने खेतों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों एवं उर्वरको की फसल-वार सुझावों को प्राप्त कर उत्पादकता सुधार में सहायता प्राप्त कर सकते हैं।''
केंद्र सरकार की किसान कल्याणकारी योजनाएं
दुनिया के कई देश कृषि प्रधान हैं । इसके मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र संघ ने किसानों के हित के लिए कई अभियान चलाए हैं, जिनमें मृदा संरक्षण पर विशेष बल दिया गया है। भारत में आधी आबादी कृषि पर निर्भर है। भारत में भी मृदा संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्वस्थ धरा, हरा खेत का नारा देकर आह्वान किया किसानों के हौसले को बुलंद करने की कोशिश की है। भारत में किसानों के हित के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें किसान फसल बीमा योजना प्रमुख है। इस योजना के तहत किसानों को सालाना तीन किश्तों में 6000 रुपए दी जाती है। इन सभी योजनाओं से आज करोड़ों किसान लाभन्वित हो रहे
हैं।
थाईलैंड के राजा भूमिबोल का इस दिवस से है विशेष नाता
आज के दिन यानी कि पांच दिसंबर को थाईलैंड के राजा एच.एम भूमिबोल अदुल्यादेज का जन्मदिन है, वे इस पहल के मुख्य समर्थकों में एक थे। राजा अदुल्यादेज के बारे में कहा जाता है कि राजा भूमिबोल ने 70 साल तक थाइलैंड पर शासन किया था। इस दौरान राजा भूमिबोल ने कृषि पर विशेष ध्यान दिया था। ऐसा भी कहा जाता है कि राजा भूमिबोल अपने देश के हर गरीब और किसान से मुलाकात करते थे और उनकी समस्याओं को दूर करने का हरसंभव प्रयास करते थे। इसलिए ही संयुक्त राष्ट्र ने पांच दिसंबर को विश्व मृदा दिवस बनाने की घोषणा की । अंतरराष्ट्रीय मृदा विज्ञान संघ ने 2002 में हर साल विश्व मिट्टी दिवस मनाने की घोषणा की थी। जबकि संयुक्त राष्ट्र ने अपनी यह घोषणा 20 दिसंबर 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 68वें सत्र के दौरान की गई।
मिट्टी का महत्व और पोषक तत्वों से भरपूर खेती
हमारे भोजन का 95 फीसदी हिस्सा मिट्टी से ही आता है। मिट्टी में रहने वाले जीव कार्बन को स्टोर करने में मदद करता है। मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीव पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने में दिन-रात काम करते रहते हैं। जिस तरह से पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है उसका असर मानव जीवन पर सबसे अधिक पड़ रहा है। पेड़ों की जड़ें मिट्टी बांध कर रखती है। जिससे तेज बारिश आने पर मिट्टी को सोख लेती हैं। लेकिन आज जो असमय आ रही बाढ़ की समस्या है, वह पेड़ों की बहुतायत में कटाई के कारण से पैदा हुई है। जिस तरह से पेड़ों की संख्या कम हो रही है और आपदाएं बढ़ रही हैं, ऐसे में मिट्टी एक दम पानी को नहीं सोख पाती है और पानी के बहाव में मिट्टी भी बह जाती है।
इसी तरह से खेत में ज्यादा रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करने से मिट्टी की संरचना खराब होने लगती है, जबकि फसल की अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी का उपजाऊ और स्वस्थ रहना बहुत जरुरी होता है । खेत में फसल की बुवाई से पहले मिट्टी की जांच जरुरी इसलिए भी है ताकि यह पता लग सके कि आपके खेत की मिट्टी की ताकत क्या है। इसके बाद पोषक तत्वों का प्रयोग करें । इससे फसल के उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ेगी । पोषक तत्वों जैसे, लौह, जिंक, कापर की उचित मात्रा के प्रयोग से फसल को फायदा होता है ।
मिट्टी में उर्वरता शक्ति को ऐसे बनाए रखें
मिट्टी में उर्वरता शक्ति को बनाए रखने के लिए लंबी और जल्दी से बढ़ने वाली फसलों के बाद बौनी फसलों को लगाएं, क्योंकि गन्ने के बाद चारा फसलों को उगाने से मिट्टी की उर्वरता घटती है, इसलिए गन्ने के बाद दलहनी फसलों की खेती करें । इससे मिट्टी की उर्वरता शक्ति बढ़ती है । खेत में अधिक पानी वाली फसल करने के बाद कम पानी वाली फसलों को लगाएं, जैसे, धान के बाद मटर, मसूर, सरसों और चना इत्यादि ।
0 टिप्पणियाँ
Please do not enter any spam link in the comment box